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तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे - Essay on Tulsidas in Hindi

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तुलसीदास का नाम हिन्दी के कवियों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। आज हम तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi पढ़ेंगे |  तुलसीदास हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं साथ ही यह भी है कि उन्होंने अपने काव्य में जिन आदर्शों की स्थापना की है , उनके कारण वे हिन्दू जाति के धर्मगुरू भी बन गये हैं। यद्यपि काव्य सौंदर्य की दृष्टि से सूरदास और मलिक मुहम्मद जायसी उनकी टक्कर में ही हैं , किन्तु धार्मिक आदशों का वैसा सुदृढ़ आधार न होने का कारण वे जनता के हृदय पर उतनी गहरी छाप नहीं बिठा पाए हैं , जितनी की तुलसीदास तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का कारण तुलसीदास को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि तुलसीदास ने अपने समय में प्रचलित सभी शौलियों में काव्य रचना की। उस समय अवधी और ब्रज दो ही साहित्यिक भाषाएँ थीं। उन्होंने दोनों में ही सफलता पूर्वक कविता लिखी। उन्होंने ' रामचरितमानस ' प्रबन्ध काव्य और विनय पत्रिका मुक्त काव्य लिखा। विविध प्रकार के उनके काव्य का बह्य पक्ष अर्थात् कला पक्ष अपने प्रतिद्व...

गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध - Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi

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आज के  राजनैतिक  समय को देखते हुवे लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में लघुनिबंध - Short Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi जी की याद आती है। कारण उन जैसे लोक नेता कम ही पैदा होते हैं। गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध - Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi गोपीनाथ बोरदोलोई का जन्म :-    गोपीनाथ बोरदोलोई का जन्म 27 जेठ , सन् 1890 ई. में नगाँव जिलान्तर्गत रहा में हुआ था। उनके पिता का नाम डा. बुद्धेश्वर बरदले और माता का नाम प्राणेश्वरी देवी था। "उजीर बरद" नाम से वंश की एक राजकीय उपाधि भी थी। जब गोपीनाथ 12 साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था। गुवाहाटी के भूमिकान्त बोरदोलोई की कन्या श्रीमती सुरबाला बरदलै के साथ उनका विवाह हुआ। शिक्षा –  गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध गोपीनाथ बोरदोलोई का नाम गुवाहाटी के कॉटन कालेजियेट स्कूल में लिखाया गया। 16 साल के पहले ही उन्होंने एट्रेंस की परीक्षा पास की। प्रथम श्रेणी मिली। साथ-साथ छात्रवृत्ति भी मिल गई। कॉटन कॉलेज में आई.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणा लेकर पास की और इस बार भी छात्र- -वृत्ति मिली। कोलकाता के स्कॉट...

मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध (Essay on Munshi Premchand in Hindi)

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आज हम उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध ( Essay on Munshi Premchand in Hindi) / जीवनी के बारे मे पढ़ेंगे |  मुंशी प्रेमचन्द का असली नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। इनका जन्म एक बहुत ही साधारण स्थिति के कायस्थ परिवार में काशी से चार मील की दूरी पर लमही नामक गाँव में 31 जुलाई 1880 ई. में हुआ। इनके पिता बीस रुपये माहवार पर डाकखाने में किरानी का काम करते थे। घर पर थोड़ी खेती भी थी। लेकिन खेती की पैदावार तथा वेतन के रुपये से परिवार रूपी गाड़ी-बड़ी मुश्किल से चलती थी। घर में हमेशा तंगी ही रहती थी। प्रेमचन्द इसी अभावपूर्ण वातावरण में जन्मे थे तथा बड़े हुए। सात वर्ष की उम्र में माँ की मृत्यु हो गयी। बालक धनपत को माँ का प्यार नहीं मिल सका। मातृ स्नेह के अभाव की यह पीड़ा उनकी अनेक कहानियों में फूट निकली है। बाल्यकाल इनकी माता की मृत्यु पश्चात् इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली माँ इनके साथ बहुत ही कटु व्यवहार करती थी। पिता भी इनकी ओर ध्यान नहीं देते थे। फलस्वरूप बालक धनपत घर के बाहर खेल-कूद में ज्यादा समय लगाने लगा। बा...

सुमित्रानन्दन पन्त पर हिंदी में निबंध - Essay on Sumitranandan Pant in Hindi

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यह लेख  सुमित्रानन्दन पन्त पर हिंदी में निबंध - Essay on Sumitranandan Pant in Hindi है |  हिन्दी के प्रियदर्शी कवि सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म भारतवर्ष के स्वीटजरलैंड अल्मोड़ा के कौसानी गाँव में  20  मई सन्  1900  को हुआ। सिर्फ छः घंटे पश्चात् इनकी माता की मृत्यु हो गयी। पन्तजी के पिता पं. गंगादत्त पंत जमींदार थे और कौसानी राज्य में कोषाध्यक्ष थे। उनकी माता का नाम श्रीमती सरस्वती देवी था। पंत अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। माँ की मृत्यु के बाद सुमित्रानन्दन पन्त टूअर बन गये थे ,  परन्तु इनकी फूफी ने इन्हें पाला पोसा ,  जो उस समय इनके यहाँ ही रहा करती थी। इनकी पुफी का स्वभाव अत्यन्त सरल एवं नम्र था। पंत को स्मृतिशक्ति तीव्र है और सुमित्रानन्दन पन्त की सबसे पुरानी स्मृति उस समय की है जबकि वे करीब तीन वर्ष के थे। एक दिन वे अपने भाई के साथ रस्सी खींचा- खींची खेल रहे थे। भाई ने रस्सी छोड़ दी ,  पंत. अंगीठी में जाकर गिर पड़े। फलस्वरूप सुमित्रानन्दन पन्त का कोमल शरीर झुलस गया। उन्हें अपने भाई के विवाह की भी घटना याद है जब वे अपने नौकर की पीठ पर ...

आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi)

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यह लेख  आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi) है |   आदि शंकराचार्य को  शंकर का अवतार भी कहा जाता हैं| हिन्दुओं में आदि शंकराचार्य पूजनीय है| भारत के सम्पूर्ण गौरवशाली इतिहास में यहाँ के प्राचीन सनातन धर्म और यहाँ की संस्कृति का बहुत अधिक योगदान रहा है।  भारत की प्राचीन संस्कृति और धर्म ने देश के गौरवशाली इतिहास को बहुत कुछ दिया है।  प्राचीन भारतीय सनातन धर्म, जिसे हिन्दू धर्म भी कहते हैं, की स्थापना करने का श्रेय   आदि शंकराचार्य को  दिया जाता है।  इस लेख मे हम  आदि शंकराचार्य पर निबंध  के साथ साथ आदि शंकराचार्य का हिन्दू धर्म मे अपने योगदान के बारे पढ़ेंग | आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi) हमारा देश भारत अति प्राचीन काल से दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए विख्यात है। ईश्वरीय तत्व अनुसन्धान करनेवाले दार्शनिक , साधक , योगी इत्यादी महापुरुष यहाँ जन्म ग्रहण करके भारतभूमि को पवित्र कर गये हैं। उनलोगों को साधना , तपस्या तथा कर्त्तव्य निष्ठा से पैदा हुए अनेक धर्म...

रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi)

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पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण जब भारतीय शिक्षित लोग धर्म और ईश्वर से विमुख होने लगे, तब देशवासियों को सत्य के मार्ग पर ले जाने के लिए परमपुरुष श्री रामकृष्ण प्रकट हुए। रामकृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे, रामकृष्ण परमहंस जी के अनुसार  सभी धर्म एक हैं। उनका मानना ​​था कि सभी धर्मों का आधार प्रेम, न्याय और परोपकार है। उन्होंने एकता का उपदेश दिया।  रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi) ठाकुर श्री रामकृष्ण का जन्म 20 फरवरी, 1833 ई. को हुगली जिले के कामारपुकुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम क्षुद्रराम चट्टोपाध्याय तथा माता का नाम चंद्रमणि देवी था। उनके पिता बहुत गरीब थे तथा श्री रामकृष्ण अपने पिता के तीसरे और सबसे छोटे पुत्र थे। उनका बचपन का नाम 'गदाधर' था। रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi)  रामकृष्ण परमहंस की प्रारम्भिक जीवन जब गदाधर पाँच वर्ष के थे, तब उन्हें स्कूल भेजा गया। लेकिन बालक गदाधर का पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता था। साथ ही इस बालक को धार्मिक नाटक, कहानियाँ और संवाद ...

रघुनाथ चौधरी पर निबंध (Essay on Raghunath Choudhary)

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 बिहंगी कवि स्व. रघुनाथ चौधरी पर निबंध (Essay on Raghunath Choudhary)  बिहंगी कवि स्व. रघुनाथ चौधरी का जन्म गुरुवार, 20 जनवरी 1879 को शुक्ल चतुर्थी गणेश पूजा के दिन असम राज्य के कामरूप जिले के अंतर्गत लाओपारा नामक गाँव में हुआ था।  उनके पिता "श्री भोलानाथ चौधरी" एक अमीर किसान थे और वे सही अर्थों में भोलानाथ थे। चौधरी की माँ का नाम "दयालता चौधरी" था। वह बहुत दयालु और धर्मपरायण महिला भी थीं, चौधरी जी उनके माता-पिता की तीसरी संतान थीं। आपके जन्म के दिन परिवार के पुजारी ने आकर भोलानाथ जी से कहा कि यह आपके वंश का रघुनाथ है। रामचंद्र की तरह यह भी आपके कुल का नाम रोशन करेगा। पुजारी की बातें सच निकलीं। लग्न पत्रिका के अनुसार कवि का नाम सोमनाथ चौधरी था। लेकिन पुरोहित जी की भविष्यवाणी के साथ ही उनका दिया हुआ नाम भी लोकप्रिय हो गया। रघुनाथ चौधरी का बचपन "रघुनाथ चौधरी" का बचपन काफी परेशानियों में बीता। बरामदे से गिरने के कारण दाहिना पैर हमेशा के लिए बेकार हो गया। यह दुखद घटना तब हुई जब आप नौ महीने के थे। विधि का गुस्सा यूं ही शांत नहीं हुआ। जब आप केवल चार वर्ष के थे,...