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Essay on rainy season (वर्षा ऋतु पर निबंध)

यह लेख वर्षा ऋतु पर हिंदी में निबंध -  Essay on rainy seasonin Hindi है | वर्षा ऋतु :- बारिश की बूंदों में छिपा जीवन वर्षा ऋतु का आगमन, जिसे आमतौर पर मानसून कहा जाता है, प्राकृतिक दुनिया में एक महत्वपूर्ण घटना है। लंबे समय तक तपती गर्मी और सूखी धरती को सहन करने के बाद, पहली बारिश की बूँदें राहत और खुशी का अनुभव कराती हैं। वर्षा ऋतु एक ऐसा महत्वपूर्ण चक्र है जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है, कृषि को समर्थित करता है और लाखों लोगों के लिए गहरा सांस्कृतिक महत्व रखता है। मानसून को समझना हमारे जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने की कुंजी है। वर्षा ऋतु का  हर साल आना एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक घटना है। यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, और हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ हमारा संतुलन कितना जरूरी है। वर्षा ऋतु की प्रारंभिक बारिश का जादू और अनुभव:-धरा की प्यास बुझाती बारिश कुछ प्राकृतिक घटनाओं का इतना उत्साहपूर्वक इंतज़ार नहीं किया जाता जितना कि पहली बारिश का। वातावरण में बदलाव होता है और मिट्टी की खास महक से सब कुछ भर जाता है। काले बादल आसमान में छ...

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध। Independence Day Essay in Hindi

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  स्वतंत्रता दिवस पर निबंध स्वतंत्रता दिवस भारत का एक ऐतिहासिक दिन है। यह 15 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली। 15 अगस्त 1947,  भारतीयस्वतंत्रतासेनानियों ने भारत के लिए स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।  स्वतंत्रता दिवस हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बलिदान को याद करने का दिन है।  महात्मा गाँधी , जवाहर लाल नेहरू , सुभाष चंद्र बोस , मंगल पांडेय , भगत सिंह , खुदीराम बोस , लोकमान्य तिलकगोपाल , कृष्ण गोखले , रानी लक्ष्मीबाई जैसे असंख्य सेनानियों की मेहनत और बलिदान के कारण भारत को आजादी मिली। यह भारतीय इतिहास का सबसे भाग्यशाली और महत्वपूर्ण दिन था। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जब देश ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उन्होंने नई दिल्ली के लाल किले पर पहली बार तिरंगा झंडा फहराया। स्वतंत्रता दिवस यह हमारा एक राष्ट्रीय त्योहार है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। आजादी के इस पर्व को भारतीय अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। भारत सरकार राष्ट्रीय गौरव के इस पर्व...

इंटरनेट पर हिंदी में निबंध | Essay On Internet In Hindi | इंटरनेट पर 400 शब्द में निबंध

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प्रस्तावना :- इंटरनेट विज्ञान और तकनीक का सबसे बड़ा चमत्कार है और आज के समय में लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है। इंटरनेट ने प्रगति की गति को तीव्र किया है। यह सूचना के आदान प्रदान का सबसे तीव्र और सरल माध्यम है। इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया को जोड़ा जा सकता है। आधुनिक युग में बिना इंटरनेट के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।इंटरनेट के माध्यम से हम बहुत सारे कंप्यूटरों को जोड़ सकते हैं। इंटरनेट ने सभी कार्यों को आसान कर दिया है। इंटरनेट की परिभाषा :- इंटरनेट एक विश्व स्तर पर जुड़ा नेटवर्क सिस्टम है जो निजी , सार्वजनिक , व्यवसाय , शैक्षणिक और सरकारी नेटवर्क के विशाल संग्रह के माध्यम से संचार और डेटा सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है। यह एक आभासी बुनियादी ढांचे के रूप में कार्य करता है जो दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जोड़ता है , जिससे उपयोगकर्ता मूल रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अथवा जब दो या दो से अधिक कंप्यूटर एक केबल द्वारा जुड़े होते हैं , तो वे डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह नेटवर्क है। इंटरनेट तब बनता है जब कई वैश्विक नेटवर्क विलय...

तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे - Essay on Tulsidas in Hindi

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तुलसीदास का नाम हिन्दी के कवियों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। आज हम तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi पढ़ेंगे |  तुलसीदास हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं साथ ही यह भी है कि उन्होंने अपने काव्य में जिन आदर्शों की स्थापना की है , उनके कारण वे हिन्दू जाति के धर्मगुरू भी बन गये हैं। यद्यपि काव्य सौंदर्य की दृष्टि से सूरदास और मलिक मुहम्मद जायसी उनकी टक्कर में ही हैं , किन्तु धार्मिक आदशों का वैसा सुदृढ़ आधार न होने का कारण वे जनता के हृदय पर उतनी गहरी छाप नहीं बिठा पाए हैं , जितनी की तुलसीदास तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का कारण तुलसीदास को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि तुलसीदास ने अपने समय में प्रचलित सभी शौलियों में काव्य रचना की। उस समय अवधी और ब्रज दो ही साहित्यिक भाषाएँ थीं। उन्होंने दोनों में ही सफलता पूर्वक कविता लिखी। उन्होंने ' रामचरितमानस ' प्रबन्ध काव्य और विनय पत्रिका मुक्त काव्य लिखा। विविध प्रकार के उनके काव्य का बह्य पक्ष अर्थात् कला पक्ष अपने प्रतिद्व...

मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध (Essay on Munshi Premchand in Hindi)

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आज हम उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध ( Essay on Munshi Premchand in Hindi) / जीवनी के बारे मे पढ़ेंगे |  मुंशी प्रेमचन्द का असली नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। इनका जन्म एक बहुत ही साधारण स्थिति के कायस्थ परिवार में काशी से चार मील की दूरी पर लमही नामक गाँव में 31 जुलाई 1880 ई. में हुआ। इनके पिता बीस रुपये माहवार पर डाकखाने में किरानी का काम करते थे। घर पर थोड़ी खेती भी थी। लेकिन खेती की पैदावार तथा वेतन के रुपये से परिवार रूपी गाड़ी-बड़ी मुश्किल से चलती थी। घर में हमेशा तंगी ही रहती थी। प्रेमचन्द इसी अभावपूर्ण वातावरण में जन्मे थे तथा बड़े हुए। सात वर्ष की उम्र में माँ की मृत्यु हो गयी। बालक धनपत को माँ का प्यार नहीं मिल सका। मातृ स्नेह के अभाव की यह पीड़ा उनकी अनेक कहानियों में फूट निकली है। बाल्यकाल इनकी माता की मृत्यु पश्चात् इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली माँ इनके साथ बहुत ही कटु व्यवहार करती थी। पिता भी इनकी ओर ध्यान नहीं देते थे। फलस्वरूप बालक धनपत घर के बाहर खेल-कूद में ज्यादा समय लगाने लगा। बा...

सुमित्रानन्दन पन्त पर हिंदी में निबंध - Essay on Sumitranandan Pant in Hindi

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यह लेख  सुमित्रानन्दन पन्त पर हिंदी में निबंध - Essay on Sumitranandan Pant in Hindi है |  हिन्दी के प्रियदर्शी कवि सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म भारतवर्ष के स्वीटजरलैंड अल्मोड़ा के कौसानी गाँव में  20  मई सन्  1900  को हुआ। सिर्फ छः घंटे पश्चात् इनकी माता की मृत्यु हो गयी। पन्तजी के पिता पं. गंगादत्त पंत जमींदार थे और कौसानी राज्य में कोषाध्यक्ष थे। उनकी माता का नाम श्रीमती सरस्वती देवी था। पंत अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। माँ की मृत्यु के बाद सुमित्रानन्दन पन्त टूअर बन गये थे ,  परन्तु इनकी फूफी ने इन्हें पाला पोसा ,  जो उस समय इनके यहाँ ही रहा करती थी। इनकी पुफी का स्वभाव अत्यन्त सरल एवं नम्र था। पंत को स्मृतिशक्ति तीव्र है और सुमित्रानन्दन पन्त की सबसे पुरानी स्मृति उस समय की है जबकि वे करीब तीन वर्ष के थे। एक दिन वे अपने भाई के साथ रस्सी खींचा- खींची खेल रहे थे। भाई ने रस्सी छोड़ दी ,  पंत. अंगीठी में जाकर गिर पड़े। फलस्वरूप सुमित्रानन्दन पन्त का कोमल शरीर झुलस गया। उन्हें अपने भाई के विवाह की भी घटना याद है जब वे अपने नौकर की पीठ पर ...

आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi)

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यह लेख  आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi) है |   आदि शंकराचार्य को  शंकर का अवतार भी कहा जाता हैं| हिन्दुओं में आदि शंकराचार्य पूजनीय है| भारत के सम्पूर्ण गौरवशाली इतिहास में यहाँ के प्राचीन सनातन धर्म और यहाँ की संस्कृति का बहुत अधिक योगदान रहा है।  भारत की प्राचीन संस्कृति और धर्म ने देश के गौरवशाली इतिहास को बहुत कुछ दिया है।  प्राचीन भारतीय सनातन धर्म, जिसे हिन्दू धर्म भी कहते हैं, की स्थापना करने का श्रेय   आदि शंकराचार्य को  दिया जाता है।  इस लेख मे हम  आदि शंकराचार्य पर निबंध  के साथ साथ आदि शंकराचार्य का हिन्दू धर्म मे अपने योगदान के बारे पढ़ेंग | आदि शंकराचार्य पर निबंध हिन्दी मे (Essay on Shankaracharya in Hindi) हमारा देश भारत अति प्राचीन काल से दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए विख्यात है। ईश्वरीय तत्व अनुसन्धान करनेवाले दार्शनिक , साधक , योगी इत्यादी महापुरुष यहाँ जन्म ग्रहण करके भारतभूमि को पवित्र कर गये हैं। उनलोगों को साधना , तपस्या तथा कर्त्तव्य निष्ठा से पैदा हुए अनेक धर्म...

रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi)

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पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण जब भारतीय शिक्षित लोग धर्म और ईश्वर से विमुख होने लगे, तब देशवासियों को सत्य के मार्ग पर ले जाने के लिए परमपुरुष श्री रामकृष्ण प्रकट हुए। रामकृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे, रामकृष्ण परमहंस जी के अनुसार  सभी धर्म एक हैं। उनका मानना ​​था कि सभी धर्मों का आधार प्रेम, न्याय और परोपकार है। उन्होंने एकता का उपदेश दिया।  रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi) ठाकुर श्री रामकृष्ण का जन्म 20 फरवरी, 1833 ई. को हुगली जिले के कामारपुकुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम क्षुद्रराम चट्टोपाध्याय तथा माता का नाम चंद्रमणि देवी था। उनके पिता बहुत गरीब थे तथा श्री रामकृष्ण अपने पिता के तीसरे और सबसे छोटे पुत्र थे। उनका बचपन का नाम 'गदाधर' था। रामकृष्ण परमहंस पर निबंध हिंदी में (Essay on Ramakrishna Paramahansa in Hindi)  रामकृष्ण परमहंस की प्रारम्भिक जीवन जब गदाधर पाँच वर्ष के थे, तब उन्हें स्कूल भेजा गया। लेकिन बालक गदाधर का पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता था। साथ ही इस बालक को धार्मिक नाटक, कहानियाँ और संवाद ...

रघुनाथ चौधरी पर निबंध (Essay on Raghunath Choudhary)

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 बिहंगी कवि स्व. रघुनाथ चौधरी पर निबंध (Essay on Raghunath Choudhary)  बिहंगी कवि स्व. रघुनाथ चौधरी का जन्म गुरुवार, 20 जनवरी 1879 को शुक्ल चतुर्थी गणेश पूजा के दिन असम राज्य के कामरूप जिले के अंतर्गत लाओपारा नामक गाँव में हुआ था।  उनके पिता "श्री भोलानाथ चौधरी" एक अमीर किसान थे और वे सही अर्थों में भोलानाथ थे। चौधरी की माँ का नाम "दयालता चौधरी" था। वह बहुत दयालु और धर्मपरायण महिला भी थीं, चौधरी जी उनके माता-पिता की तीसरी संतान थीं। आपके जन्म के दिन परिवार के पुजारी ने आकर भोलानाथ जी से कहा कि यह आपके वंश का रघुनाथ है। रामचंद्र की तरह यह भी आपके कुल का नाम रोशन करेगा। पुजारी की बातें सच निकलीं। लग्न पत्रिका के अनुसार कवि का नाम सोमनाथ चौधरी था। लेकिन पुरोहित जी की भविष्यवाणी के साथ ही उनका दिया हुआ नाम भी लोकप्रिय हो गया। रघुनाथ चौधरी का बचपन "रघुनाथ चौधरी" का बचपन काफी परेशानियों में बीता। बरामदे से गिरने के कारण दाहिना पैर हमेशा के लिए बेकार हो गया। यह दुखद घटना तब हुई जब आप नौ महीने के थे। विधि का गुस्सा यूं ही शांत नहीं हुआ। जब आप केवल चार वर्ष के थे,...