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मेरे विद्यालय का पहला दिन

मेरे विद्यालय में पहला दिन: एक यादगार अनुभव विद्यालय में मेरा पहला दिन - यह सिर्फ एक नया स्कूल जाने से कहीं ज़्यादा था; यह मेरे जीवन के सबसे यादगार और खास अनुभवों में से एक है। मैं इस दिन को हमेशा याद रखूँगा क्योंकि यह मेरे लिए कई नई शुरुआत का प्रतीक है। सुबह जब मैं उठा, तो मेरे मन में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन साथ ही एक अजब सा उत्साह भी था। नए स्कूल में पहला कदम माँ ने मुझे मेरी बिलकुल नई स्कूल यूनिफॉर्म पहनाई। मेरे जूते चमक रहे थे और मेरा नया बस्ता भी तैयार था। स्कूल जाने के विचार से मेरे पेट में थोड़ी-सी गुदगुदी हो रही थी। हम स्कूल बस से निकले, और रास्ते में, मैंने कई बच्चों को देखा जो मेरी तरह ही नए और उत्सुक लग रहे थे। हर चेहरे पर एक नई शुरुआत की चमक थी। कक्षा का अनुभव और नए दोस्त जब हम विद्यालय पहुँचे, तो उसकी विशाल इमारत देखकर मैं दंग रह गया। स्कूल के मैदान में चारों ओर बच्चे खेल रहे थे और बातें कर रहे थे। हमारे प्रधानाचार्य ने हमें एक बड़े हॉल में बुलाया और हमें स्कूल के बारे में कुछ ज़रूरी बातें बताईं। इसके बाद, हमें अपनी-अपनी कक्षाओं में भेजा गया। मेरी कक्षा में कई नए चेहरे थे; ...

मानव अधिकार पर निबंध

 मूल रूप से, मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को अपने इंसान होने के कारण मिलते हैं। ये स्थानीय निकायों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों तक कानूनी अधिकारों में संरक्षित हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं, इसलिए वे कहीं भी लागू हो सकते हैं। मानवाधिकार मानदंडों की एक श्रृंखला है जो मानव व्यवहार के कुछ नियमों को बताता है। अंतरराष्ट्रीय कानून में कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित, इन अधिकारों को अनौपचारिक मौलिक अधिकारों के रूप में जाना जाता है, जो किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए मिलते हैं कि वह इंसान है। मानव अधिकार मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के नियमों को बताते हैं। मानव होने के नाते, हर व्यक्ति इन मौलिक अधिकारों का स्वाभाविक हकदार है। कानून इन अधिकारों को सुरक्षित रखता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण मानवाधिकार सुरक्षित हैं। नीचे कुछ मूलभूत मानव अधिकारों का उल्लेख किया गया है जो देश के हर नागरिक को मिलने चाहिए।    जीवन का अधिकार: प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार है। हर व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मारे जाने से बचने का भी अधिकार है।  उचित परी...

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध। Independence Day Essay in Hindi

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  स्वतंत्रता दिवस पर निबंध स्वतंत्रता दिवस भारत का एक ऐतिहासिक दिन है। यह 15 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली। 15 अगस्त 1947,  भारतीयस्वतंत्रतासेनानियों ने भारत के लिए स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।  स्वतंत्रता दिवस हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बलिदान को याद करने का दिन है।  महात्मा गाँधी , जवाहर लाल नेहरू , सुभाष चंद्र बोस , मंगल पांडेय , भगत सिंह , खुदीराम बोस , लोकमान्य तिलकगोपाल , कृष्ण गोखले , रानी लक्ष्मीबाई जैसे असंख्य सेनानियों की मेहनत और बलिदान के कारण भारत को आजादी मिली। यह भारतीय इतिहास का सबसे भाग्यशाली और महत्वपूर्ण दिन था। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जब देश ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उन्होंने नई दिल्ली के लाल किले पर पहली बार तिरंगा झंडा फहराया। स्वतंत्रता दिवस यह हमारा एक राष्ट्रीय त्योहार है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। आजादी के इस पर्व को भारतीय अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। भारत सरकार राष्ट्रीय गौरव के इस पर्व...

इंटरनेट पर हिंदी में निबंध | Essay On Internet In Hindi | इंटरनेट पर 400 शब्द में निबंध

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प्रस्तावना :- इंटरनेट विज्ञान और तकनीक का सबसे बड़ा चमत्कार है और आज के समय में लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है। इंटरनेट ने प्रगति की गति को तीव्र किया है। यह सूचना के आदान प्रदान का सबसे तीव्र और सरल माध्यम है। इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया को जोड़ा जा सकता है। आधुनिक युग में बिना इंटरनेट के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।इंटरनेट के माध्यम से हम बहुत सारे कंप्यूटरों को जोड़ सकते हैं। इंटरनेट ने सभी कार्यों को आसान कर दिया है। इंटरनेट की परिभाषा :- इंटरनेट एक विश्व स्तर पर जुड़ा नेटवर्क सिस्टम है जो निजी , सार्वजनिक , व्यवसाय , शैक्षणिक और सरकारी नेटवर्क के विशाल संग्रह के माध्यम से संचार और डेटा सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है। यह एक आभासी बुनियादी ढांचे के रूप में कार्य करता है जो दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जोड़ता है , जिससे उपयोगकर्ता मूल रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अथवा जब दो या दो से अधिक कंप्यूटर एक केबल द्वारा जुड़े होते हैं , तो वे डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह नेटवर्क है। इंटरनेट तब बनता है जब कई वैश्विक नेटवर्क विलय...

तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे - Essay on Tulsidas in Hindi

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तुलसीदास का नाम हिन्दी के कवियों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। आज हम तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi पढ़ेंगे |  तुलसीदास हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं साथ ही यह भी है कि उन्होंने अपने काव्य में जिन आदर्शों की स्थापना की है , उनके कारण वे हिन्दू जाति के धर्मगुरू भी बन गये हैं। यद्यपि काव्य सौंदर्य की दृष्टि से सूरदास और मलिक मुहम्मद जायसी उनकी टक्कर में ही हैं , किन्तु धार्मिक आदशों का वैसा सुदृढ़ आधार न होने का कारण वे जनता के हृदय पर उतनी गहरी छाप नहीं बिठा पाए हैं , जितनी की तुलसीदास तुलसीदास पर निबंध हिन्दी मे  - Essay on Tulsidas in Hindi सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का कारण तुलसीदास को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि मानने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि तुलसीदास ने अपने समय में प्रचलित सभी शौलियों में काव्य रचना की। उस समय अवधी और ब्रज दो ही साहित्यिक भाषाएँ थीं। उन्होंने दोनों में ही सफलता पूर्वक कविता लिखी। उन्होंने ' रामचरितमानस ' प्रबन्ध काव्य और विनय पत्रिका मुक्त काव्य लिखा। विविध प्रकार के उनके काव्य का बह्य पक्ष अर्थात् कला पक्ष अपने प्रतिद्व...

गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध - Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi

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आज के  राजनैतिक  समय को देखते हुवे लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में लघुनिबंध - Short Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi जी की याद आती है। कारण उन जैसे लोक नेता कम ही पैदा होते हैं। गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध - Essay on Gopinath Bordoloi in Hindi गोपीनाथ बोरदोलोई का जन्म :-    गोपीनाथ बोरदोलोई का जन्म 27 जेठ , सन् 1890 ई. में नगाँव जिलान्तर्गत रहा में हुआ था। उनके पिता का नाम डा. बुद्धेश्वर बरदले और माता का नाम प्राणेश्वरी देवी था। "उजीर बरद" नाम से वंश की एक राजकीय उपाधि भी थी। जब गोपीनाथ 12 साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था। गुवाहाटी के भूमिकान्त बोरदोलोई की कन्या श्रीमती सुरबाला बरदलै के साथ उनका विवाह हुआ। शिक्षा –  गोपीनाथ बोरदोलोई पर हिंदी में निबंध गोपीनाथ बोरदोलोई का नाम गुवाहाटी के कॉटन कालेजियेट स्कूल में लिखाया गया। 16 साल के पहले ही उन्होंने एट्रेंस की परीक्षा पास की। प्रथम श्रेणी मिली। साथ-साथ छात्रवृत्ति भी मिल गई। कॉटन कॉलेज में आई.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणा लेकर पास की और इस बार भी छात्र- -वृत्ति मिली। कोलकाता के स्कॉट...

मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध (Essay on Munshi Premchand in Hindi)

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आज हम उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द पर हिंदी में निबंध ( Essay on Munshi Premchand in Hindi) / जीवनी के बारे मे पढ़ेंगे |  मुंशी प्रेमचन्द का असली नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। इनका जन्म एक बहुत ही साधारण स्थिति के कायस्थ परिवार में काशी से चार मील की दूरी पर लमही नामक गाँव में 31 जुलाई 1880 ई. में हुआ। इनके पिता बीस रुपये माहवार पर डाकखाने में किरानी का काम करते थे। घर पर थोड़ी खेती भी थी। लेकिन खेती की पैदावार तथा वेतन के रुपये से परिवार रूपी गाड़ी-बड़ी मुश्किल से चलती थी। घर में हमेशा तंगी ही रहती थी। प्रेमचन्द इसी अभावपूर्ण वातावरण में जन्मे थे तथा बड़े हुए। सात वर्ष की उम्र में माँ की मृत्यु हो गयी। बालक धनपत को माँ का प्यार नहीं मिल सका। मातृ स्नेह के अभाव की यह पीड़ा उनकी अनेक कहानियों में फूट निकली है। बाल्यकाल इनकी माता की मृत्यु पश्चात् इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली माँ इनके साथ बहुत ही कटु व्यवहार करती थी। पिता भी इनकी ओर ध्यान नहीं देते थे। फलस्वरूप बालक धनपत घर के बाहर खेल-कूद में ज्यादा समय लगाने लगा। बा...